विनय पत्रिका तुलसीदास रचित एक ग्रंथ है। यह ब्रज भाषा में रचित है ।
तुलसीकृत विनय पत्रिका से उद्धृत सभी पदरचनाये भगवत् भक्ति की सर्वोच्चता को दर्शाता है। भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं। भगवान् से बडा दयालु और दानी कौन हो सकता है। प्रभु पापों का हरण करनेवाले हैं। इस पद के माध्यम से तुलसीदास भगवान् व भक्त के बीच संबंध की व्याख्या कर रहे हैं।गोस्वामी तुलसीदास के समस्त साहित्य का प्रमुख विषय राम भक्ति ही है। राम के शील ,शक्ति और सौन्दर्य से सुसज्जित लोक रक्षक रूप का चित्रण करना तुलसी का प्रमुख उद्देश्य है। तुलसीदास ने अपने समय के प्रचलित प्रायः सभी शास्त्रीय तथा लोक शैलीओं में काव्य रचना की है। भाषा की दृष्टि से तुलसीदास का ब्रज और अवधी पर सामान रूप से अधिकार है। स्वामी ,सेवक ,भाई ,माता,पिता ,पत्नी और राजा के उच्चतम आदर्शो का एकत्र मिलन ,गोस्वामी तुलसीदास के कालजयी साहित्य में ही हो सकता है।
हिन्दी साहित्य के आकाश के परम नक्षत्र गोस्वामी तुलसीदासजी भक्तिकाल की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ कवि,भक्त तथा समाजसुधारक इन तीनो रूपों में मान्य है।