श्रीजगदम्बा ( पद्मा ) स्तुति:
स्वामि श्री भारतीकृष्णतीर्थ यांनी जी देवदेवतांवी स्तुती केली आहे, अशी क्वचितच् इतरांनी कोणी केली असेल.
रागिविदूरा पायात् पद्मा ॥१॥
योगाप्यङ्घ्रि: पायात् पद्मा ॥२॥
देवार्च्याङ्घ्रि: पायात् पद्मा ॥३॥
जारठ्ययघ्नी: पायात् पद्मा ॥४॥
दुर्मृत्युघ्नी पायात् पद्मा ॥५॥
दत्तैश्वर्या पायात् पद्मा ॥६॥
विद्यादात्री पायात् पद्मा ॥७॥
कारुण्याब्धि: पायात् पद्मा ॥८॥
गौरीपूज्या पायात् पद्मा ॥९॥
दन्त्यादिस्पृक् पायात् पद्मा ॥१०॥
नम्राघघ्नी पायात् पद्मा ॥११॥
भोगीड्वर्ण्या पायात् पद्मा ॥१२॥
मर्मच्छाया पायात् पद्मा ॥१३॥
कीरस्तव्या पायात् पद्मा ॥१४॥
हंसीकण्ठी पायात् पद्मा ॥१५॥
इष्टस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥१६॥
धर्मंस्प्रष्टी पायात् पद्मा ॥१७॥
अर्थस्प्रष्टो पायात् पद्मा ॥१८॥
कामस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥१९॥
मोक्षस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥२०॥
पद्माद्यर्च्या पायात् पद्मा ॥२१॥
ज्ञानस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥२२॥
राजस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥२३॥
सर्वांध्यक्षा पायात् पद्मा ॥२४॥
व्याधिघ्नी मा पायात् पद्मा ॥२५॥
दैत्यघ्नी मा पायात् पद्मा ॥२६॥
अब्भूहस्ता पायात् पद्मा ॥२७॥
योगिघ्येया पायात् पद्मा ॥२८॥
शम्भ्वाद्यर्च्यां पायात् पद्मा ॥२९॥
शान्त्यादिस्पृक् पायात् पद्मा ॥३०॥
श्रान्तिघ्नी मा पायात् पद्मा ॥३१॥
योगस्प्रष्ट्री पायात् पद्मा ॥३२॥
क्षान्त्यम्भोधि: पायात् पद्मा ॥३३॥
भद्रं दत्त्वा पायात् स्त्रोतॄन् ॥३४॥
Last Updated : November 11, 2016
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