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Puran Kavya Stotra Sudha - Page 257

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पुराणकाव्यस्तोत्रसुधा ।
विनयप्रिया ||१०८॥ ज्वालामालासहस्राढ्या देवदेवी मनोमयी । महाभगवती
भर्गा वासुदेवसमृद्भवा ॥१०९॥ महेन्द्रोपेन्द्रभगिनी भक्तिगम्या परावरा |
ज्ञानज्ञेया जरातीता वेदान्तविषया गतिः ॥११०॥ दक्षिणा दहती दोघ
सर्वभूतनमस्कृता । योगमाया विभागज्ञा महाभोहा गरीयसी ॥१११॥ सन्ध्या
सर्वसमुद्भतिर्ब्रह्मविद्याश्रयादिभिः | बोजाङकुरसमुद्भ तिर्महाशक्तिर्महामतिः
|| ११२॥ क्षान्तिः प्रज्ञा चितिः सच्चिन्महाभोगीन्द्रशायिनी । विकृतिः
शाहकरी शास्तिर्गणगन्धर्वसेविता ॥११३॥ वैश्वानरी महाशाला महासेना
गुहप्रिया | महारात्रिः शिवानन्दा शची दुःस्वप्ननाशिनी ॥ ११४॥ इज्या पूज्या
जगद्धात्री दुविनेया सुरूपिणि । तपस्विनी समाविस्था त्रिनेत्रा दिवि संस्थिता
॥ ११५ ॥ गुहाम्बिका गुणोत्पत्तिर्महापीठा मरुत्ता | हव्यवाहान्त रागादि:
हव्यवाहसमुद्भवा ॥११६॥ जगद्योनिर्जगन्माता जन्ममृत्युजरातिगा। बुद्धि-
महाबुद्धिमती पुरुषान्तरवासिनी ॥११७॥ तरस्विनी समाधिस्या त्रिनेत्रा
विवि संस्थिता । सर्वेन्द्रियमनोमाता सर्वभूतहदि स्थिता ॥ ११८ ॥ संसार.
तारिणी विद्या ब्रह्मवादिननोलया । ब्रह्मागो बृहती ब्राह्मी ब्रह्मभूता भवारणी
॥११९॥ हिरण्मयी महारात्रिः संसारपरिवतिका | सुमालिनो सुरूवाच भाविनी
हारिणी प्रभा ||१२०|| उन्मीलनी सर्वसहा सर्वप्रत्ययसाक्षिणो | सुसौम्या
चन्द्रवदना ताण्डवासक्तमानसा ॥१२१॥ सत्त्वशुद्धिकरी शुद्धिर्मलत्रयविना-
शिनी । जगतिप्रथा जगन्मूत्तिस्त्रिमूत्तिरमृताश्रया ॥ १२२|| निराश्रया निराहारा
निरङ्कुशपदोद्भवा । चन्द्रहस्ता विचित्राङगी स्रग्विणी पद्मघारिणी ||१२३||
परावरविधानज्ञा महापुरुषपूर्वजा। विश्वेश्वरप्रिया विशुद्वियज्जिह्वा जित
क्षमा ॥ १२४॥ विद्यामयी सहस्राक्षी सहस्रवदनात्मजा | सहलरश्मिः सत्वस्था
महेश्वरपदाश्रया ॥ १२५॥ क्षालिनी मृण्मयी व्याप्ता तैजसो पद्मबोधिका
महामायाश्रया मान्या महादेवमनोरमा ||१२६|| व्योमलक्ष्मीः सिंहरवा
चेकितानामितप्रभा । वीरेश्वरी विमानस्था विशोकाशोकनाशिनी ॥ १२७॥
अनाहता कुण्डलिनी नलिनी पद्मभासिनी । सदानन्दा सदाकीतिः सर्वभूता-
श्रयस्थिता ॥१२८|| वाग्देवता ब्रह्मकला कलातीता कलारणी । ब्रह्मत्रोर्बह्म
हृदया ब्रह्मविष्णुशिवप्रिया ॥१२९॥ व्योमशक्ति: क्रियाशक्तिर्ज्ञानशक्तिः
परा गतिः । क्षोभिका बन्विका भेद्या भेदाभेदविवर्जिता ||१३०॥ अभिन्ना
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Last Updated : September 23, 2022

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