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Puran Kavya Stotra Sudha - Page 184

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स्तो त्र यो गः – वासुदेवस्तोत्रम्
विभुं प्रभुं विश्वधरं विशुद्धमशेषसंसार विनाशहेतुम् ॥
यो वासुदेवं विमलं प्रपन्नः स मोक्षमाप्नोति विमुक्तसगः ॥५६॥
१९. वासुदेवस्तोत्रम् ( पूजाकाले )
( गरुड, पूर्वखण्ड, २२६ )
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सर्वपापहारिणे ॥
नमो यज्ञवराहाय गोविन्दाय नमो नमः ॥
नमस्ते परमानन्द ! नमस्ते परमाक्षर ! ॥ ६ ॥
नमस्ते ज्ञानसद्भाव ! नमस्ते ज्ञानदायक ! ॥
नमस्ते परमाद्वैत ! नमस्ते पुरुषोत्तम ॥ ७ ॥
नमस्ते विश्वकृद्देव ! नमस्ते विश्वभावन ! ॥
नमस्तेऽस्तु विश्वनाथ ! नमस्ते विश्वकारण ! ॥ ८ ॥
नमस्ते मधुदैत्यघ्न ! नमस्ते रावणान्तक ! ॥
नमस्ते कंसकेशिघ्न ! नमस्ते कैटभार्दन ! ॥ ९ ॥
नमस्ते शतपत्राक्ष ! नमस्ते गरुडध्वज ! ॥
नमस्ते कालनेमिघ्न ! नमस्ते गरुडासन ॥ १० ॥ ।
नमस्ते देवकीपुत्र ! नमस्ते वृष्णिनन्दन ! n
नमस्ते रुक्मिणीकान्त ! नमस्ते दितिनन्दन ! ॥
नमस्ते गोकुलावास ! नमस्ते गोकुलप्रिय ! ॥ ११ ॥
जय गोपवपुः कृष्ण ! जय गोपीजनप्रिय ! ॥
जय गोवर्द्धनाधार ! जय गोकुलवर्धन ! ॥ १२ ॥
जय रावणवीरघ्न ! जय चाणूरनाशन ! ॥
जय वृष्णिकुलोद्योत ! जय कालोयमर्दन ! ॥ १३ ॥
जय सत्य जगत्साक्षिन् ! जय सवार्थसाधक ॥
जय वेदान्तविद्वेद्य ! जय सर्वद ! माधव ! ॥ १४ ॥
जय सर्वाश्रयाव्यक्त ! जय सर्वद ! माधव ! ॥
जय सूक्ष्म चिदानन्द ! जय चित्तनिरञ्जन ॥ १५ ॥
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Last Updated : September 23, 2022

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