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Puran Kavya Stotra Sudha - Page 218

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स्तो त्र यो गः -
- मृत्युञ्जयस्तोत्रम्
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं ।
चन्द्रशेखरमाश्रये मम कि करिष्यति वै यमः ॥ ८० ॥
भक्तवत्सलमचंतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं |
सर्वभूतपति परात्परमप्रमेयमनूपमम् ॥
भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृति ।
चन्द्रशेखरमाश्रये मम कि करिष्यति वै यमः ॥ ८१ ||
विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं ।
संहरन्तमथ प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् ॥
क्रीडयन्तमनिशं गणनाथयूथसमावृतं ।
चन्द्रशेखरमाश्रये मम कि करिष्यति व यमः ॥८२||
रुद्रं पशुपति स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम् ॥
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८३॥
कालकण्ठं कलामूर्ति कालाग्नि कालनाशनम् ॥
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८४॥
नीलकण्ठं विरूपाक्षं निर्मलं निरुपद्रवम् ||
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८५॥
वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम् ॥
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८६॥
देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम् ||
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८७॥
अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाघरं हरम् ॥
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८८॥
आनन्दं परमं नित्यं केवल्यपदकारणम् ॥
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नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥८९॥
स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम् ||
नमामि शिरसा देवं कि नो मृत्युः करिष्यति ॥९० ॥
बसिष्ठ उवाच
मार्कण्डेयकृतं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसंनिधौ ॥
तस्य मृत्युभयं नास्ति सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ॥ ९१॥
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Last Updated : September 23, 2022

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