पदसंग्रह - पंचक
रंगनाथ स्वामींचा जन्म शके १५३४ परिघाविसंवत्सर मार्गशीर्ष शुद्ध १० रोजीं झाला.
[तोटकवृत्त गण स, स, स, स.]
वितरागबळें जड बुद्धि वळे ॥ रति मोह टळे मनता वितुळे ॥
अभिमान गळे भवपाश जळे ॥ गुरुराजदयें जइं वर्म कळे ॥१॥
परमार्थहि सार्थक तैंच घडे ॥ भ्रम मत्सर शोक कदां न घडे ॥
गुणदोष विकार संमूळ टळे ॥ गुरुराजदय़ें० ॥२॥
निजरूप अरूप अमूप वसे ॥ मजवीण दुजें सहसा न दिसे ॥
मग भासत तेचि प्रतीति बळें ॥ गुरुराज० ॥३॥
सुविवेक धरीं सहवास करीं ॥ निज शांति सुवृत्ति सुखोंचि वरी ॥
मग धैर्थं बसे सहसा न ढळे ॥ गुरुराज० ॥४॥
अविनाश अभंग असंग सदां ॥ न वसे न दिसे मज रंग कदां ॥
घन चित्स्वरूपीं मन हेतु टळे ॥ गुरुराज० ॥५॥
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Last Updated : November 11, 2016
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