धन्य झालि शबरतनया ॥
धन्य झालि शबरतनया ॥
दिधलि भेट रामराया ॥धृ०॥
बहुत दीन तप केले ॥
मुनिजात जेथे रमले ॥
रघुराज घरा आले ॥
उद्धरिली पापिजाया ॥धन्य०॥१॥
रामचरणि करुनि पूजन ॥
भक्तिभावे करुनि सू-मन ॥
म्हणे दिवस धन्य धन्य ॥
पुनित झालि आत्मकाया ॥ धन्य०॥२॥
पुण्यवान तरुवर ॥
बदरिफळे असति मधुर ॥
भक्षावी ही रघुवीर ॥
मी-तूपणा सांडुनिया ॥धन्य०॥३॥
बदरिफळे घेउनि करी ॥
मधुर बोले धनुर्धारी ॥
चंचुपुटे काय शबरी ॥
भक्षिली हि पक्षिया ॥धन्य०॥४॥
शुद्ध दंति चाखुनिया ॥
रक्षिली मि आजवरी ॥
घालि मुखी रावणारी ॥
शबरिभाव पाहुनिया ॥धन्य०॥५॥
भक्त भिल्लि उद्धरिली ॥
सुरी पुष्पवृष्टि केली ॥
नामामृता कृष्णा प्याली ॥
नमन करी रामपाया ॥धन्य०॥६॥