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बाल , युवा , वृद्धावस्था ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - बाल , युवा , वृद्धावस्था ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

बाल, युवा, वृद्धावस्था है तीनों पूरी हो जाती ।

मरण अनंतर पूर्वजन्मकी संतत है बारी आती ॥

घूम रही मायाचक्री यह कभी नहीं रुकने पाती ।

पर 'मैं-मैं' की एक भावना कभी नही मेरी जाती ॥

भले हो कोई कैसा स्वाँग ।

पड़ गयी सब कुओंमें भाँग ॥

इसीसे यह 'मै' 'मै' की राग ।

गा रहा, कभी न सकता त्याग ॥

कौन यह 'मै', कैसा आकार? परम प्रिय मेरे प्राणाधार !

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Last Updated : September 25, 2008

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