परम प्रिय मेरे प्राणाधार !
स्वजनोंसे सम्बन्ध छूटते मै निराश हो घबराया ।
पर निरुपाय, विवश हो तत्क्षण गृह नवीनमें मैं आया ॥
लगा पुरातन चिर नूतन सब 'मेरापन' सबमें पाया ।
विस्मृत हुआ पुरातन, नूतनको ही मैने अपनाया ॥
सबल, सुन्दर सुसंगठित देह ।
जनक-जननीका अविरल स्नेह ॥
प्रियाका मधुर वचन मृदुहास ।
सरल संततिका रम्य विकास ॥
कर रहा नित सुखका संचार । परम प्रिय मेरे प्राणाधार ।