राम राम राम राम राम राम राम ।
भज मन प्यारे सीताराम ॥
संतोकें जीवन ध्रुव तारे, भक्तोंके प्राणोंसे प्यारे ।
विश्वंभर, सब जग-रखवारे, सब बिधि पूरणकाम ॥
राम राम० ॥
अजामील-दुख टारनहारे, गज-गनिकाके तारनहारे ।
द्रुपदसुता भय वारन हारे, सुखमय मंगलधाम ॥
राम राम० ॥
अनिल-अनल-जल रवि-शशि-तारे,
पृथ्वी गगन, गन्ध-रस-सारे ।
तुझ सरिताके सब फौवारे, तुम सबके विश्राम ॥
राम राम० ॥
तुमपर धन-जन, तन-मन वारे, तुझ प्रेमामृत-मदमतवारे ।
धन्य-धन्य ते जग उजियारे, जिनके मुख यह नाम ॥
राम राम० ॥