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जय जगदीश हरे प्रभु ! जय ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - जय जगदीश हरे प्रभु ! जय ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

जय जगदीश हरे प्रभु ! जय जगदीश हरे !

मायातीत, महेश्वर, मन-बच-बुद्धि परे ॥टेक॥

आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी ।

अतुल, अनंत, अनामय, अमित शक्ति-राशी ॥१॥ जय०

अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी ।

सत-चित-सुखमय, सुंदर, शिव, सत्ताधारी ॥२॥ जय०

विधि, हरि, शंकर, गणपति, सूर्य, शक्तिरूपा ।

विश्व-चराचर तुमही, तुमही जग भूपा ॥३॥ जय०

माता-पिता-पितामह-स्वामिसुह्रद भर्ता ।

विश्वोत्पादक-पालक-रक्षक-संहर्ता ॥४॥ जय०

साक्षी, शरण, सखा, प्रिय, प्रियतम, पूर्ण प्रभो ।

केवल काल कलानिधि, कालातीत विभो ॥५॥ जय०

राम कृष्ण, करुणामय, प्रेमामृत-सागर ।

मनमोहन, मुरलीधर, नित-नव नटनागर ॥६॥ जय०

सब विधिहीन, मलिनमति, हम अति पातकि जन ।

प्रभु-पद-विमुख अभागी कलि-कलुषित-तन-मन ॥७॥ जय०

आश्रय-दान दयार्णव ! हम सबको दीजे ।

पाप-ताप हर हरि ! सब, निज-जन कर लीजे ॥८॥ जय०

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Last Updated : May 24, 2008

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