श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - पिता चले , जननी भी बिछुड़ी...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
पिता चले, जननी भी बिछुड़ी, शक्ति और सौन्दर्य गया ।
पत्नी भी चल बसी, शेष वयमें उसने भी न की दया ॥
धीरे-धीरे पुत्रोंसे भी सार नाता टूट गया ।
पूर्वजन्मकी भाँति पुनः यमदूतोंके आधीन भया ॥
हुआ परवश अधीर बेहाल ।
चल सकी एक न मेरी चाल ॥
भटकते बीता अगणित काल ।
बिबिध देहोंमें क्षुद्र-विशाल ॥
अनोखा यह कैसा ब्यवहार । परम प्रिय मेरे प्राणाधार !
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Last Updated : September 25, 2008
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