हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार|
स्याम मोरे ढिगते कबहुँ न ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - स्याम मोरे ढिगते कबहुँ न ...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

स्याम मोरे ढिगते कबहुँ न जावै ।

कहा कहूँ सखि ! गैल न छाडै, जित जाऊँ तित धावै ॥

गैया दुहत गोद आ बैठे, दूध धार पी जावै ।

दही मथत नवनी लेबेकौ, मटकी माहिं समावै ॥

रोटी करत आइ चौकामै, ऊधम अमित मचावै ।

जेंवत बेर संग आ बैठे, माल-माल गटकावै ॥

सखियन सँग बतरात आइ जो पंचराज बनि जावै ।

मुरली मधुर बजाय देखु सखि, मोहन हमहिं रिझावै ॥

सोवत समै सेज आ पौढ़े, गृह स्वामी बनि जावै ।

स्वलप निंदरिया बिच सपनमहँ माधुरि-रूप दिखावै ॥

तदपि न बरजत बनै ताहि सखि, चित अति ही सुख पावै ।

बारहिं बार निहारि चंद्रमुख, अंदर अति हुलसावै ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : September 25, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP