नाथ ! मने अबकी बार बचाओ ॥टेक॥
फँस्यों आय मैं भँवर जाळ, निकलणकी बाट बताओ ।
रस्तो भूल्यो, मिल्यो अँधेरो, मारग आप दिखाओ ॥
दुखियानैं उद्धार करणको, थारै घणो उमाओ ।
मेरै जिस्यो दुखी कुणी जगमै, प्रभुजी ! आप बताओ ॥
भोत कष्ट मैं भुगत्या स्वामी, अब तो फंद कटाओ ।
धीरज गई, धरम भी छूट्यो, आफत आप मिटाओ ॥
आरत भोत हो रह्यो प्रभुजी, अब मत बार लगाओ ।
करो माफ तकसीर दासकी, सरण मनै बकसाओ ॥