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मैं नित भगतन हाथ बिकाऊँ ।...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - मैं नित भगतन हाथ बिकाऊँ ।...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

मैं नित भगतन हाथ बिकाऊँ ।

आठों जाम ह्रदयमें राखूँ पलक नही बिसराऊँ ॥

कल न परत बैकुंठ बसत मोहि, जोगिन मन न समाऊँ ।

जहँ मम भगत प्रेमजुत गावहिं तहाँ बसत सुख पाऊँ ॥

भगतनकिजैसी रुचि देखूँ तैसो बेष बनाऊँ ।

टारूँ अपने बचन भगत लगि, तिनके बचन निभाऊँ ॥

ऊँच-नीच सब काज भगतके, निज कर सकल बनाऊँ ।

पग धोऊँ, रथ हाँकूँ, माजूँ बासन, छानि छवाऊँ ॥

मागूँ नाहिं दाम कछु तिनतें, नहिं कछु तिनहि सताऊँ ।

प्रेमसहित जल, पत्र, पुष्प, फल, जो देवै सो खाऊँ ॥

निज 'सरबस' भगतनको सौंपूँ, अपनो स्वत्व भुलाऊँ ।

भगत कहैं सोइ करूँ निरंतर बेचै तो बिक जाऊँ ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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