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अरे मन , तू कछु सोच -बिचा...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - अरे मन , तू कछु सोच -बिचा...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

अरे मन, तू कछु सोच-बिचार ।

झूठो जग साँचो करि मान्यो, भूल्यो फिरत गँवार ॥

मृग जिमि भूल्यो देखि असत जल, मरु धरनी बिस्तार ।

सून्याकास तिरवरा दीखत, मिथ्या नेत्र विकार ॥

रसरी देखि सरप जिमि मान्यो, भयबस रह्यो पुकार ।

सीप माहिं ज्यों भयो रौप्य-भ्रम, तिमि मिथ्या संसार ॥

स्वपन- दृश्य साँचे करि मानत, नहिं कछु तिन महँ सार ।

तिमि यह जगि मिथ्या ही भासत, प्रकृति-जनित खिलवार ॥

जो यातें उद्धार चहै तो, हरिमय जगत निहार ।

मायापतिकी सरन गहे तै होवे तव निस्तार ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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