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नाथ मैं थारो जी थारो च...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - नाथ मैं थारो जी थारो च...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

नाथ मैं थारो जी थारो

चोखो, बुरो, कुटिल अरु कामी, जो कुछ हूँ सो थारो ॥

बिगड्यो हूँ तो थारो बिगड़्यो, थे ही मनै सुधारो ।

सुधर्‌यो तो प्रभु सुधर‌यो थारो, थाँ सूँ कदे न न्यारो ॥

बुरो, बुरो, मैं भोत बुरो हूँ, आखर टाबर थारो ।

बुरो कुहाकर मैं रह जास्यूँ, नाँव बिगड़सी थारो ॥

थारो हूँ, थारो ही बाजूँ, रहस्यूँ थारो, थारो !! ।

आँगळियाँ नुह परै न हौवै, या तो आप विचारो ॥

मेरी बात जाय तो जाओ, सोच नही कछु म्हारो ।

मेरे बड़ो सोच यो लाग्यो बिरद लाजसी थारो ॥

जचै जिसतराँ करो नाथ ! अब, मारो चाहै त्यारो ।

जाँघ उघाड्याँ लाज मरोगा, ऊँडी बात बिचारो ॥

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Last Updated : May 24, 2008

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