तेरे सुरतपर तो प्यारे हुवा दिल फिदा ।
घुंगट लेके करती जबी मै आदा ॥ध्रु०॥
बीस बरस की उम्बर बने तू दुला ।
बदन तेरा क्या कहु माषुक चंदा खुला ॥
नैनकी लगरही जालं दोनो हुला ॥चाल॥
मेरा निकलकर जी जाता हायरे खुदा ॥१॥
कहाके तू रहनेवाले मूसे तो कहो ।
उठो पलंगपर जी बैठो घडी दो रहो ॥
चहा बनाकर मै देती अजी तुम पिवो ॥चाल॥
फेर सुनो हजरत आपकू करूंगी बिदा ॥२॥
दर्दके मारे प्यारे आप बसे खडी ।
यही तो इष्कके खातर कबकी अडी ॥
मेहेरबान मुजपर होना आयी क्या घडी ॥चाल॥
सो रहो ऊपर चलना झूला है जुदा ॥३॥
बिडा दिया करके उनसे लपटरही ।
लूट लिया दोनो नर्दा कछु कम नही ॥
कहे गुनी प्रभाकर जी हुवा रंग सही ॥चाल॥
गावते गावन बापू ख्याल सिदा ॥४॥