संस्कृत सूची|संस्कृत साहित्य|पुराण|विष्णुधर्माः| अध्याय ११ विष्णुधर्माः अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ अध्याय ९८ अध्याय ९९ अध्याय १०० अध्याय १०१ अध्याय १०२ अध्याय १०३ अध्याय १०४ अध्याय १०५ विष्णुधर्माः - अध्याय ११ विष्णुधर्माः Tags : puransanskritVishnu dharmaपुराणविष्णुधर्माःसंस्कृत विष्णुधर्माः - अध्याय ११ Translation - भाषांतर अथैकादशोऽध्यायः ।पुलस्त्य उवाच ।एकदश्यां शुक्लपक्षे यदा र्क्षं वै पुनर्वसुः ।नाम्ना सातिजयाख्याता तिथीनामुत्तमा तिथिः १यो ददाति तिलप्रस्थं तृष्कालं वत्सरं नरः ।उपवासं च तस्यां यः करोत्येतत्समं स्मृतम् २तस्यां जगत्पतिर्देवः सर्वः सर्वेश्वरो हरिः ।प्रत्यक्षतां प्रयात्यल्पं तदानन्तफलं स्मृतम् ३सगरेण ककुत्स्थेन दुन्धुमारेण गाधिना ।तस्यामाराधितः कृष्णो दत्तवान्निखिलां भुवम् ४इति विष्णुधर्मेष्वतिविजयैकादशी । N/A References : N/A Last Updated : February 11, 2024 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP