पद
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
पद
पाहुंयारे कृष्ण जो मर्दि कालियाला ॥ जेणें बहुत पाडिले देहविषें त्याला ॥धृ०॥
माझें मीच हें विषोदक पाजुनि लोकां ॥ होता करित रात्रंदिन पात्र दुःख शोका ॥ मोठा शत्रु शिरोमणि बाधक सकळांला ॥जेणें०॥१॥
करिं पुच्छ शिरावरि पाय फणा मर्दी ॥ करिं टाळ वाजवुनि गाति भक्त गर्दी ॥ यद्भजन नुरवि तिळ दुःख समुद्राला ॥जेणें०॥२॥
विष्णु कृष्ण जगन्नाथा सच्चित्सुख कळला ॥ ज्यां त्यां जिवांचा देहभाव गळला ॥ देह मीपणा नुरवुनि रमवि सज्जनाला ॥जेणें०॥३॥
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( भजन )
सीताराम - सीताराम - सीताराम - सीताराम - ऋषिवर - कविवर - मुनिवर - तरले - या निजमंत्रें भव हे नाम.
॥ जय जय रघुवीर समर्थ ॥
॥ श्री बलभीम मारुतिराय की जय ॥
श्री समर्थ रामदास वैष्णव सद्गुरु श्रीकृष्ण जगन्नाथ चरणारविंदेभ्यो नमः
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Last Updated : January 17, 2018
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