लखो बुलबुल है । दावोजी मुबारखो ॥ ध्रु० ॥
झटा तेरा जप भात रोटी गप । सद्गुरुमें छप । तुझ काल करेगा गप ॥ १ ॥
लगो मुख लिया नाम । आंदर भरा है काम । ऐसा केंव हुवा बेफाम । तुझ कांहा मिलेगा राम ॥ २ ॥
मोकूं आंगकूं लगाया राख दिलमो नापाक । ऐसा देखे लख । एका जनादर्नीं देख ॥ ३ ॥