आलख निरंजन नानक आया । नेकी करना अच्छा है ॥ १ ॥
फेक पैसा फेक यारो । फेक पैसा फेक ॥ध्रु०॥
माया झोली निरगुण सैली । नाममाला जपता है ॥ २ ॥
समकी टोपी दमकी कफनी । त्रिगुन बभूत चढाई है ॥ ३ ॥
जीव शीव दोनो कुंडल पेर्हे । अनुहत टिपरी बजावत है ॥ ४ ॥
कामक्रोधकी गर्दन मारी । बोध खंडा झळकत है ॥ ५ ॥
प्रेम कटारी लियी हातमो । लवंडी माया डरती है ॥ ६ ॥
वैराग्य भाला पडे उजाला । संसारमो नो फत्तर है ॥ ७ ॥
तो भवनमां सौदा बेचे । आशा मनशा धरता है ॥ ८ ॥
फेर चौर्यांयशी आयी यारो । मूपर जूता खाता है ॥ ९ ॥
चारो बरनमो ब्रह्मण बडा । घर घर कथा करता है ॥ १० ॥
नाम बेचकर दाम लेते । उसकी करनी हराम है ॥ ११ ॥
फकीर होकर फिकीर करिता । उसका मूं काला है ॥ १२ ॥
नाथपंथकी मुद्रा डाली । जगमें सिंगी बजावत है ॥ १३ ॥
सिंगी नादकूं औरत भूला । वाबी लंवडा झूठा है ॥ १४ ॥
संन्यास लिया आशा बाड्या । मीठा खाना मंगता है ॥ १५ ॥
भुल गया अल्लाका नाम यारो । ज्यमक सोटा बजाता है ॥ १६ ॥
शेटे सावकार माल खजीना । उनमें मगन रेहेता है ॥ १७ ॥
जोरू लडके कोई नहीं साती । आखर मुमें मट्टी है ॥ १८ ॥
मानभाव बनेके काला पैने । छानकर पानी पीता है ॥ १९ ॥
आत्म ध्यानकू चोर लूटत है । वो बी सच्चा गद्धा है ॥ २० ॥
शंख बजावत जंगम आया । घर घर लेकर फिरता है ॥ २१ ॥
पेटखातर शिवकू बेचे । वोबी लवंडा कुत्ता है ॥ २२ ॥
गोसावी बडा भगवा आवे । जटा बढकर रहेता है ॥ २३ ॥
साहा चोरकू जगा देकर । उसमें फंदमें फिरता है ॥ २४ ॥
साहा फेंकेसो सादु बनेगा । नहीं तो यारी गव्हार है ॥ २५ ॥
फेक आशा फेक मनशा । निंदा फेके सो जोगी है ॥ २६ ॥
परधन फेक दुजी औरत फेक । न फेकेसो चांडाल है ॥ २७ ॥
दंभमान फेक मीपन फेक । न फेकेसी नकटा आधा है ॥ २८ ॥
साही शास्त्र अठरा पुराण । चारो बेद पढता है ॥ २९ ॥
माबाप तो कासी तीरथ । उसकूं तेडा बोलत है ॥ ३० ॥
साधुसंत घरकु आये । उसकूं तेडा बोलत है ॥ ३१ ॥
दीवाना उनका बाप यारो । हात जोडकर रहेता है ॥ ३२ ॥
नाम अल्लाका कथा सुन्नेकी । उव्हां मुरगीका सोता है ॥ ३३ ॥
कामका कुत्ता कसबीन घरमे । सारी रातदीन जागत है ॥ ३४ ॥
इस दुनियामें आया बंदे । अल्ला नामका सौदा है ॥ ३५ ॥
एक दिन आना एक दिन जाना । दो दिनका सब बजार है ॥ ३६ ॥
इस नगरीमें सेटे सावकार । बडे मतलबी रहेते हैं ॥ ३७ ॥
नामकी जोडी करले यारो । चौर्यांयशी बेडी तुटती है ॥ ३८ ॥
तेरे नगरीमें नानक आया । पैसा टक्का कूच मंगता नहीं है ॥ ३९ ॥
भक्ती रोटी भावका सालन । देना मेरेकू सच्चा है ॥ ४० ॥
एका जनार्दनीं शाही हमारा । नानक उनका बंदा है ॥ ४१ ॥
मोक्श निशानी लियी हातमो । वैकुंठधाम पढता है ॥ ४२ ॥