पुरहरनन्दन रिपुकुलभञ्जन, दिनकरकोटि रूप परिहृतलोकताप, शिकीन्द्रवाहन महेन्द्रपालन विधृतसकलभुवनमूल विधुतनिखिलदनुजतूल तापससमाराधित पापजविकाराजित,
कारुण्यसलिलपूराधार मयूरवरवाहन महेन्द्रगिरिकेतन, भक्तिपरगम्य, शक्तिकररम्य, परिपालितनाक, पुरशासनपाक, , निखिललोकनायक, गिरिविदारिसायक, महादेवभागधेय,
विनतशोकनिवारण, विविधलोककारण, सुरवैरिकाल पुरवैरिबाल, भवबन्धनविमोचन, दळदम्बुजविलोचन, करुणामृतरससागर, तरुणामृतकरशेखर, वल्लीमानहारवेष
मल्लीमालभारिकेश, परिपालितविबुधलोक, परिकालितविनतशोक, मुखविजितचन्दिर, निखिलगुणमन्दिर, भानुकोटिसदृशरूप वितृमनोहारिमन्दहास, रिपुशिरोदारिचन्द्रहास,
श्रुतिकलितमणिकुण्डलरुचिविजित रविमण्डल, भुजवरविजितसाल भजनपरमनुजपाल, न ववीरस।म्सेवित रणधीर स।म्भावितमनोहरशील महेन्द्रारिकील, कुसुमविशदहास कलशिखरनिवास, विजितकरणमुनिसेवित विगतमरणजनिभाषित, स्कन्दपुरनिवास नन्दनकृतविलास, कमलासनविनत चतुरागमविनुत, कलिमलविहीन कृतसेवन
सरसिजनिकाशशुभलोचन, अहार्यानरधीर अनार्यानरदूर, विदळित रोगजाल, विरचितभोगमूल भोगीन्द्रभासित योगीन्द्रभावित, पाकशासनपरिपूजित नाकवासिनिकरसेवित, विद्रुतविद्याधर, विद्रुमहृद्याधर, दळितदनुजवेतण्ड, विबुधवरदकोदण्डपरिपालितभूसुर, मणिभूषणभासुर, अतिरम्यस्वभाव, श्रुतिगम्यप्रभाव, लीलाविशेषतोषितशङ्कर,
सुमसमरदन शशधरवदन विजयीभव!विजयीभव!
॥इति सुब्रह्मण्यगद्यं संपूर्णम् ॥