किने घुंगुर बजाया छननन छननन आवाज आया ॥ध्रु॥
आजी जाती आपने पिहूं कूं मिलने ज्याती ॥
आज ज्याती आशक मतवाला जीका साती ॥
चांदणी रात नहि सरमाती ॥
बीदीसीस फळ चमक बत लाती ॥
बाके बाळ पुरावे मोती ॥
भांग जमाच्या ॥१॥
विष के मारे लुटपुट प्यारे ॥
ज्या के पिहु के आंगनमें भाले ॥
ईशारत करके लाल पुकारे ॥
थाप दरवाजा उपर मारी ॥
मजकू घर खावंदकी मोरी ॥
उठोजी मिया ॥२॥
मोहन का सुनले मिठा आवाजा भारी आवाजा ॥
कुचलेकर खोल दरवाजा ॥
पितमकू देखे तर कलीजा ॥
हिंदुपद दखन का राजा ॥
आर्जी सुनतेव आजी महाराजा ॥
दर्शन बताया ॥३॥
सामने होवे अकबर काई ॥
छाती उमर गेंद भरकाई ॥
मिलाफ होके चिराक सरकाई ॥
करकर चुरिया जदत्तर काई ॥
सगनभाऊ कहे हुई भरपाई ॥
जुटी माया ॥४॥