शामभई राम तुजे आराम करेगा ।
पिहुजन पार अल्ला खैर करेगा ॥ध्रु०॥
सुनत सखी पिहुन यका इष्क कहते ।
रुख सत् के वक्त कच्छु बयत कहेते ॥
रत फरेकव बंदगीमो रयन भयेते ।
घोडे उपर रवार हु नयन भयते ॥
पलो सफलाय खुदा मेहेर करेगा ॥१॥
हामपके गहर निंबु लागे दराने ।
हा मसे दुवागीर बने पिहू के बिराने ॥
हौस गये मोतनका चारा चराने ।
त्वरस लगी पानी कीदर जाऊ चुराने ॥
अल्फ सुखा पटकुंगी लहुसे भरेगा ॥२॥
डाग लगा कलीजे उपर पिहू के कमलका ।
याह करो फौजा कुलजाव आलमका ॥
बान चुबान सनसमो हाय रे जालमका ।
छाती उपर वार जडा नयन बलमका ॥
बाहार खुदा विसर गये क्या तो करे गा ॥३॥
इंत जाय उन्मतसे भीलना तन मन ।
गय बगा आबान हुवा कहे हुसेन बह्मन ॥
नही उजेन पार गये है रे गुल चमन ।
पोंच करो मक पुरे मीरज के समन ॥
सगनभाऊ मुरशदकू सिद्ध करेगा ॥४॥