मराठी मुख्य सूची|ऐतिहासिक साहित्य|शिवचरित्रसाहित्य| लेख ८९ शिवचरित्रसाहित्य लेख १ लेख २ लेख ३ लेख ४ लेख ५ लेख ६ लेख ७ लेख ८ लेख ९ लेख १० लेख ११ लेख १२ लेख १३ लेख १४ लेख १५ लेख १६ लेख १७ लेख १८ लेख १९ लेख २० लेख २१ लेख २२ लेख २३ लेख २४ लेख २५ लेख २६ लेख २७ लेख २८ लेख २९ लेख ३० लेख ३१ लेख ३२ लेख ३३ लेख ३४ लेख ३५ लेख ३६ लेख ३७ लेख ३८ लेख ३९ लेख ४० लेख ४१ लेख ४२ लेख ४३ लेख ४५ लेख ४६ लेख ४७ लेख ४८ लेख ४९ लेख ५० लेख ५१ लेख ५२ लेख ५३ लेख ५४ लेख ५५ लेख ५६ लेख ५७ लेख ५८ लेख ५९ लेख ६० लेख ६१ लेख ६२ लेख ६३ लेख ६४ लेख ६५ लेख ६६ लेख ६७ लेख ६८ लेख ६९ लेख ७० लेख ७१ लेख ७२ लेख ७३ लेख ७४ लेख ७५ लेख ७६ लेख ७७ लेख ७८ लेख ७९ लेख ७९ लेख ८० लेख ८१ लेख ८२ लेख ८३ लेख ८४ लेख ८५ लेख ८६ लेख ८७ लेख ८८ लेख ८९ लेख ९० लेख ९१ लेख ९२ लेख ९३ लेख ९४ लेख ९५ लेख ९६ लेख ९७ लेख ९८ लेख ९९ लेख १०० शिवचरित्र - लेख ८९ छत्रपति शिवाजी महाराज एक भारतीय शासक आणि मराठा साम्राज्याचे संस्थापक Tags : historicalmarathishivajiऐतिहासीकमराठीशिवाजीसाहित्य शिवचरित्र - लेख ८९ Translation - भाषांतर श्रीश.१६२० पौष व.३इ.१६९९ जाने.८मा.अनाम आपाजी अदकारी मामले चेऊल यासि भिवजी गुजर हवालदार व कारकून जजीरे कुलाबा सु॥ तिसा तिसैन अलफ उपरि तुमचे विसी र॥ पिलाजी येस प्रभु यांणी विदित केले जे अदकारी आपले तर्फेन कितेक भातेने अगत्यवाद धरितात आणि कोणे काये आपला बदनिशा केला आहे त्यावरुन विपरियास मानिला हे वर्तमान कलोन बहुत दिलगीर आहेत तर त्या लोकापासून अंतर सहसा पडणार नाही म्हणून कितेक तपसिले विदित केले त्यावरून कलो आलें तर तुम्ही वतनदार लोक ग्रहस्त आहा तुम्हापासोन अंतर पडणार नाहीं तुम्ही आपले समाधान असों देणे कौलही पाठविला असे माणकाजीस पहिलेप्रमाणे पाठवीत जाणे ढवरची विल्हे त्याचे गुरारतीने करुन तुम्हापासूनच अंतर पडोन गेले पूर्वीच माणकाजीस पाठविले असते तर बरीच गोस्ट जाली होती परंतु ते गोस्ट जाली नाही बरे याउपरी सुखरुप माणकाजीस पाठवणें बहुत काय लिहिणे र॥ छ १६ रजब [ले.८८ प्रो मो.] N/A References : N/A Last Updated : February 27, 2019 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP