मराठी मुख्य सूची|मराठी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|बृहत्संहिता| अध्याय ३७ बृहत्संहिता अध्याय १ अध्याय २ अध्याय ३ अध्याय ४ अध्याय ५ अध्याय ६ अध्याय ७ अध्याय ८ अध्याय ९ अध्याय १० अध्याय ११ अध्याय १२ अध्याय १३ अध्याय १४ अध्याय १५ अध्याय १६ अध्याय १७ अध्याय १८ अध्याय १९ अध्याय २० अध्याय २१ अध्याय २२ अध्याय २३ अध्याय २४ अध्याय २५ अध्याय २६ अध्याय २७ अध्याय २८ अध्याय २९ अध्याय ३० अध्याय ३१ अध्याय ३२ अध्याय ३३ अध्याय ३४ अध्याय ३५ अध्याय ३६ अध्याय ३७ अध्याय ३८ अध्याय ३९ अध्याय ४० अध्याय ४१ अध्याय ४२ अध्याय ४३ अध्याय ४४ अध्याय ४५ अध्याय ४६ अध्याय ४७ अध्याय ४८ अध्याय ४९ अध्याय ५० अध्याय ५१ अध्याय ५२ अध्याय ५३ अध्याय ५४ अध्याय ५५ अध्याय ५६ अध्याय ५७ अध्याय ५८ अध्याय ५९ अध्याय ६० अध्याय ६१ अध्याय ६२ अध्याय ६३ अध्याय ६४ अध्याय ६५ अध्याय ६६ अध्याय ६७ अध्याय ६८ अध्याय ६९ अध्याय ७० अध्याय ७१ अध्याय ७२ अध्याय ७३ अध्याय ७४ अध्याय ७५ अध्याय ७६ अध्याय ७७ अध्याय ७८ अध्याय ७९ अध्याय ८० अध्याय ८१ अध्याय ८२ अध्याय ८३ अध्याय ८४ अध्याय ८५ अध्याय ८६ अध्याय ८७ अध्याय ८८ अध्याय ८९ अध्याय ९० अध्याय ९१ अध्याय ९२ अध्याय ९३ अध्याय ९४ अध्याय ९५ अध्याय ९६ अध्याय ९७ अध्याय ९८ अध्याय ९९ अध्याय १०० अध्याय १०१ अध्याय १०२ अध्याय १०३ अध्याय १०४ अध्याय १०५ अध्याय १०६ बृहत्संहिता - अध्याय ३७ शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली. Tags : brihatsamhitahoroscopevarahamihirज्योतिषबृहत्संहितावराहमिहिर अथप्रतिसूर्यलक्षणं Translation - भाषांतर प्रतिसूर्य (दुसरा सूर्य,) सूर्याचे जे ऋतुवर्ण (अ. ३ श्लोक २३।२४,) यांसारखा, स्निग्ध वैडूर्यमण्यासारखा, स्वच्छ, शुक्लवर्ण, कल्याण व सुभिक्ष करतो ॥१॥प्रतिसूर्य, पीतवर्ण असेल तर व्याधि करतो. अशोकपुष्पासारखा (लोहितवर्ण) असेल तर युद्ध होते. प्रतिसूर्याची माला दिसेल तर चोरभय, उपद्र्व व राजाचा नाश ही होतात ॥२॥ही आर्या अध्याय ३ यात ३७ वी आहे तेथे पहा. ॥ इतिबृहत्संहितायांप्रतिसूर्यलक्षणंनामसप्तत्रिंशोध्याय: ॥३७॥ N/A References : N/A Last Updated : February 21, 2015 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP