चित्रगुप्त n. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र ।
चित्रगुप्त II. n. पूर्वकाल में कायस्थ जाति में मित्र नामक गृहस्थ था । उसकी दो संतानें थीं । चित्र नामक पुत्र, तथा चित्रा नामक पुत्री । मित्र की मृत्यु के बाद, उसकी स्त्री सती हुई । कालांतर में चित्र एवं चित्रा प्रभासक्षेत्र में सूर्य की आराधना करने लगे । इसका ज्ञान देख कर, यमधर्म ने इसको अपने कार्यालय में लेखक नियुक्त किया । यही चित्रगुप्त नाम से प्रसिद्ध हुआ
[स्कंद. ७.१.१३९] । इसने धर्म का रहस्य यम को बताया
[म.अनु. १९३.१३कुं.] । चित्रलेखा ने चित्रगुप्त को ऐश्वर्यसंपन्न बनाया । इस ऐश्वर्य को देख, वैवस्वत मन्वन्तर में विचित्रवस्तु निर्माण करनेवाला विश्वकर्मा इसका प्रतिस्पर्धी बन गया
[भवि. प्रति. ४.१८] ।