पुरंदरायण - जातपात भ्रम
कन्नड संतकवी हरिदास पुरंदरदास ह्यांचे जीवन दर्शन..
जातपात भ्रम होता आत्मज्ञान
सोडुनिया भ्रम गुरुसी जा शरण ॥धृ०॥
ऊस वाकुडा परी रस मधुर
धेनु नाना वर्णीच्या शुभ्र ते क्षीर
जातपात भ्रम होता आत्मज्ञान
सोडुनिया भ्रम गुरुसी जा शरण ॥१॥
मत्स्यगंधा कोण ? पुत्र व्यास महान
वाल्मिक रे कोण ? रचिले रामायण
जातपात भ्रम होता आत्मज्ञान
सोडुनिया भ्रम गुरुसी जा शरण ॥२॥
ज्ञानियासी नाही कुल जात पात
हरती पाप, करिती जनहित
जातपात भ्रम होता आत्मज्ञान
सोडुनिया भ्रम गुरुसी जा शरण ॥३॥
जातपात भ्रम, मूळ कर्म कारण
मुक्ती जाण, पुरंदर विठ्ठ स्मरण
जातपात भ्रम होता आत्मज्ञान
सोडुनिया भ्रम गुरुसी जा शरण ॥४॥
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Last Updated : February 03, 2023
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