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अठरा अक्षरी वृत्ते - धृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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एकोणीस अक्षरी वृत्तें - अतिधृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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वीस अक्षरी वृत्ते - कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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एकवीस अक्षरी वृत्तें - प्रकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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बावीस अक्षरी वृत्ते - आकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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तेवीस अक्षरी वृत्तें - विकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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चोवीस अक्षरी वृत्तें - संस्कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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पंचवीस अक्षरी वृत्तें - अतिकृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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सव्वीस अक्षरी वृत्ते - उत्कृति
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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छंदोमंजरी - अर्धसमवृत्तें
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १५४ ते १६०
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १६१ ते १६५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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अर्धसमवृत्तें - १६६ ते १७५
कांही नियमित अक्षरांत लघु-गुरूंच्या विशिष्ट क्रमाने रचना करून दाखविणे हेंच तें होय.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट अ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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वृत्तरत्नाकरांतील प्रस्तारादि विषयांचें विवेचन
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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प्रस्तारप्रत्यय:
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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उद्दिष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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एकव्द्यादिलगक्रियाप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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संख्यानप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अध्वप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट आ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ छंदोमंजरीप्रारंभ :
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ खंडमेरुसंज्ञार्थमत्कृतं सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ सुमेरुसंज्ञार्थ सूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथतिलघुक्रियाप्रस्तारे श्लोकसूत्रम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ संख्यानम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ नष्टोद्दिष्टकम्
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अथ नष्टप्रत्यय
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी
काव्यास ज्याच्या योगाने शोभा येते त्यास ’ वृत्त ’ असे म्हणतात.
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छंदोमंजरी - परिशिष्ट इ
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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छंदोमंजरी - उपोद्घात
वृत्त म्हणजे कांहीं नियमित अक्षरांत लघु- गुरुंची विशिष्ट क्रमानें रचना करुन दाखविणें.
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अष्टाध्यायी - अध्याय १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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अध्याय १ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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अध्याय १ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय १ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय १ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय २ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ३ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ४ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ५
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ५ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ६
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ६ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ७
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ७ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी - अध्याय ८
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग १
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग २
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग ३
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अध्याय ८ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अष्टाध्यायी
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे , जो ई . पू . ५००व्या शतकात रचला गेला .
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र - प्रस्तावना
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र - अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
अथछन्द:सूत्रविषयानुक्रमणी
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय पहिला
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय दुसरा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय तिसरा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय चौथा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय पांचवा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय सहावा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र -अध्याय सातवा
सार्थपिड्गलछन्द:सूत्र
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व्याकरणः
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई. पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी विद्वन्मान्य ‘वरदराज’ यांची रचना आहे. लघुसिद्धान्तकौमुदी अत्यन्त संक्षिप्त व्याकरण-पुस्तक आहे. या पुस्तकात पाणिनीच्या १२७२ सूत्रांची उदाहरणासहित व्याख्या केली गेली आहे.A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.Laghu Siddhanta Kaumudi is a text in which Panini Sutras are so rearranged as to bring together the relevant sutras bearing on a particular topic.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग २
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ३
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ४
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ५
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ६
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ७
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ८
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ९
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १०
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग ११
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १२
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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अध्याय १ - पाद १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड १
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड २
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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