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सांस्कृतिक ह्रदय

सुमित्रानंदन पंत - सांस्कृतिक ह्रदय

ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है।


कृषि युग से वाहित मानव का सांस्कृतिक ह्रदय

जो गत समाज कीरीति नीतियों का समुदय,

आचार विचारों मे जो बहु देता परिचय,

उपजाता मन में सुख दुख, आशा भय, संशय,

जो भले बुरे का ज्ञान हमे देता निश्चित

सामंत जगत में हुआ मनुज के वह निर्मित ।

उन युगस्यि तियोंका आज दृश्य पट परिवर्तित,

प्रस्तर युग की सभ्यता हो रही अब अवसित ।

जो अन्तर जग था वाह्य जगत पर अवलंबित

वह बदल रहा युग पत युग स्थितियों से प्रेरित ।

बहु जाति धर्म औ नीति कर्म में पा विकास

गत सगुण आज लय होने को औ नव प्रकाश

नव स्थितियों के सर्जन से हो अब शनैः उदय

बन रहा मनुज की नव आत्मा, सांस्कृतिक ह्रदय ।

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References :

कवी - श्री सुमित्रानंदन पंत

फरवरी' ४०

Last Updated : October 11, 2012

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