आशा - संपोनीया निशा। उजळते प्रभ...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
संपोनीया निशा। उजळते प्रभा
दिनमणी उभा। राहे नभी
लाखो मुक्या कळ्या। त्या तदा हासती
खुलती डुलती। आनंदाने
ऊर्ध्वमुख होती। देव त्या पाहती
गंध धुपारती। ओवाळिती
तैसे माझे मन। येताच प्रकाश
पावेल विकास। अभिनव
तोवरी तोवरी। अंधारी राहिन
दिन हे नेईन। आयुष्याचे
फुलेल जीवन कळी। केव्हा तरी
आशा ही अंतरी। बाळगीतो
-अमळनेर, १९२८
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Last Updated : April 12, 2018
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