विनायकस्तोत्रम् - वा रणास्यो ॥ द रघ्नोर्थ्य...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते.
Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
वा रणास्यो ॥ द रघ्नोर्थ्य ॥ ए कदं ॥ त शिशवात्मज: ॥
सु शर्मकृ ॥ त्ता रकोर्च्य: ॥ क विस्त ॥ त्पु रुषप्रिय: ॥१॥
दे व: पवि ॥ त्रे क्षणोर्द्यो ॥ दं ती चा ॥ रु स्त्रिलोचना ॥
वा ग्मीशो मा ॥ या तीतात्मा ॥ ता पशो ॥ षा ख्य आखुग: ॥२॥
नं दीवंद्यो ॥ य मीशानो ॥ य शस्वी ॥ य शंआस्पद: ॥
द र्शनीयो ॥ वि ध्नराजो ॥ वि घ्नहा ॥ वि घ्नकृद्विराट् ॥३॥
स भ्यो ह्लत् प ॥ द्म निलयो ॥ द्म रस ॥ द्म विहापक: ॥
र क्तांगोर्को ॥ हे ममाली ॥ हे रम्बो ॥ हे मदंष्ट्रक: ॥ ॥४॥
स्व राट्प्रभा ॥ अ जोऽनंतो ॥ व रेण्यो ॥ म तिमान् गुणी ॥
ती र्थकीर्तिर् ॥ व रकर: ॥ क्र त्वीशो ॥ हा पितासुर: ॥५॥
कृ पाकरो ॥ धू म्रकेतुस् ॥ तुं दिलो ॥ दे ववल्लभ: ॥
त पस्वीशस् ॥ ता पहरो ॥ डा किनी ॥ वा रितो भय: ॥६॥
वि श्र्वप्रियो ॥ य क्षवन्द्यो ॥ य ष्टा न ॥ य विवर्धन: ॥
ना नारूपो ॥ धी र आद्यो ॥ धी मतां ॥ धी रक: सुधी: ॥७॥
य मीश्वरो ॥ म हाहस्ती ॥ म हात्मा ॥ म ह उत्तम: ॥
क र्ताऽकर्ता ॥ हि तकरो ॥ हि तज्ञो ॥ हि तशासन: ॥८॥
स्तो ता स्तव्यस् ॥ तं त्रमूलस् ॥ तं त्रज्ञस् ॥ तं त्रविग्रह: ॥
त्र यी वन्द्यो ॥ नो दनाज्ञो ॥ नो दना ॥ नो दितद्बिज: ॥९॥
मि त्राभो म ॥ द नस्मेरो ॥ दं ती म ॥ रु दुपासित: ॥
दं डो प्रम ॥ त्त: शा्स्तार्यस् ॥ ती र्थमिं ॥ द्र: स्तुतोघहा ॥१०॥
स त्यसन्ध: ॥ प्र काशात्मा ॥ प्र सन्न: ॥ प्र णतार्तिहा॥
मं त्र विद्या ॥ चो दितात्मा ॥ चो दना ॥ चो दिताखिल: ॥११॥
त्र यीधर्मो ॥ द शातीतो ॥ द क्षोऽभे ॥ द उमासुत: ॥
कं न: स दे ॥ यात् प्रणुतोऽ ॥ यात् स पा ॥ यात् सदा भयात् ॥१२॥
इति श्रीवासुदेवानन्दसरस्वतीविरचितं समन्त्रकं विनायकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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Last Updated : July 12, 2016
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