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भू-वैकुण्ठ-कृतं वासं देवद...

श्रीबदरीनाथाष्टकम् - भू-वैकुण्ठ-कृतं वासं देवद...

देवी देवतांची अष्टके, आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती होय.
Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.


भू-वैकुण्ठ-कृतं वासं देवदेवं जगत्पतिम्। चतुर्वर्ग-प्रदातारं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥१॥
तापत्रय-हरं साक्षात् शान्ति-पुष्टि-बल-प्रदम्। परमानन्द-दातारं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥२॥
सद्यः पापक्षयकरं सद्यः कैवल्य-दायकम्। लोकत्रय-विधातारं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥३॥
भक्त-वाञ्छा-कल्पतरुं करुणारस-विग्रहम्। भवाब्धि-पार-कर्तारं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥४॥
सर्वदेव-स्तुतं सश्वत् सर्व-तीर्थास्पदं विभुम्। लीलयोपात्त-वपुषं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥५॥
अनादिनिधनं कालकालं भीमयमच्युतम्। सर्वाश्चर्यमयं देवं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥६॥
गन्दमादन-कूटस्थं नर-नारायणात्मकम्। बदरीखण्ड-मध्यस्थं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥७॥
शत्रूदासीन-मित्राणां सर्वज्ञं समदर्शिनम्। ब्रह्मानन्द-चिदाभासं श्रीबदरीशं नमाम्यहम् ॥८॥
श्रीबद्रीशाष्टकमिदं यः पटेत् प्रयतः शुचिः। सर्व-पाप-विनिर्मुक्तः स शान्तिं लभते पराम् ॥९॥
॥ॐ तत्सत्॥

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Last Updated : November 11, 2016

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