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यजन सुपूजित योगिवरार्चित ...

शबरिगिरीशाष्टकम् - यजन सुपूजित योगिवरार्चित ...

देवी देवतांची अष्टके आजारपण किंवा कांही घरगुती त्रास होत असल्यास घरीच देवासमोर म्हणण्याची ईश्वराची स्तुती  होय.
Traditionally,the ashtakam is recited in homes, when some one has health or any domestic problems.


यजन सुपूजित योगिवरार्चित यादुविनाशक योगतनो
यतिवर कल्पित यन्त्रकृतासन यक्षवरार्पित पुष्पतनो
यमनियमासन योगिहृदासन पाप निवारण कालतनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥१॥

मकर महोत्सव मङ्गलदायक भूतगणावृत देवतनो
मधुरिपु मन्मथ मारकमानित दीक्षितमानस मान्यतनो
मदगज सेवित मञ्जुल नादक वाद्य सुघोषित मोदतनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥२॥

जय जय हे शबरीगिरि नायक साधय चिन्तितमिष्टतनो
कलिवरदोत्तम कोमल कुन्तल कञ्जसुमावलिकान्त तनो
कलिवरसंस्थित कालभयार्दित भक्तजनावनतुष्टमते
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥३॥

निशिसुर पूजन मङ्गलवादन माल्यविभूषण मोदमते
सुरयुवतीकृत वन्दन नर्तन नन्दित मानस मञ्जुतनो
कलिमनुजाद्भुत कल्पित कोमल नाम सुकीर्तन मोदतनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥४॥

अपरिमिताद्भुत लील जगत्परिपाल निजालय चारुतनो
कलिजनपालन सङ्कटवारण पापजनावनलब्धतनो
प्रतिदिवसागत देववरार्चित साधुमुखागत कीर्तितनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥५॥

कलिमल कालन कञ्जविलोचन कुन्दसुमानन कान्ततनो
बहुजनमानस कामसुपूरण नामजपोत्तम मन्त्रतनो
निजगिरिदर्शन यातुजनार्पित पुत्रधनादिक धर्मतनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥६॥

शतमुखपालक शान्तिविदायक शत्रुविनाशक शुद्धतनो
तरुनिकरालय दीनकृपालय तापसमानस दीप्ततनो
हरिहरसंभव पद्मसमुद्भव वासव शम्बव सेव्यतनो
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥७॥

ममकुलदैवत मत्पितृपूजित माधव लालित मञ्जुमते
मुनिजनसंस्तुत मुक्तिविदायक शङ्कर पालित शान्तमते
जगदभयङ्कर जन्मफलप्रद चन्दनचर्चित चन्द्ररुचे
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥८॥

अमलमनन्त पदान्वित राम सुदीक्षित सत्कविपद्यमिदं
शिव शबरीगिरि मन्दिर संस्थित तोषदमिष्टदं आर्तिहरं
पठति शृणोति च भक्तियुतो यदि भाग्यसमृद्धिमथो लभते
जय जय हे शबरीगिरि मन्दिर सुन्दर पालय मामनिशं ॥९॥

इति श्री शबरीगिरिशाष्टकं संपूर्णं ॥

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Last Updated : July 11, 2016

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