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जीव ! तू मत करना फिकर...

विविध - जीव ! तू मत करना फिकर...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


जीव ! तू मत करना फिकरी, जीव ! तू मत करना फिकरी ।

भाग लिखी सो हुई रहेगी, भली - बुरी सगरी ॥ टेर ॥

सहस्त्र पुत्र राजा सगरके, तप कीन्हो अकरी ।

थारी गतिने तूही जाने, आग मिली ना लकड़ी ॥ २ ॥

तप करके हिरनाकुश राजा, बर पायो जबरी ।

लौह लकड़से मर् यो नहीं, वो मर् यो मौत नखरी ॥ ३ ॥

तीन लोककी माता सीता, रावण जाय हरी ।

जब लक्ष्मणने करी चढ़ाई, लंका गई बिखरी ॥ ४ ॥

आठ पहर साहिबको रटना, ना करना जिकरी ।

कहत कबीर सुनो भाई साधो , रहना बे- फिकरी ॥ ५ ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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