जीव ! तू मत करना फिकरी, जीव ! तू मत करना फिकरी ।
भाग लिखी सो हुई रहेगी, भली - बुरी सगरी ॥ टेर ॥
सहस्त्र पुत्र राजा सगरके, तप कीन्हो अकरी ।
थारी गतिने तूही जाने, आग मिली ना लकड़ी ॥ २ ॥
तप करके हिरनाकुश राजा, बर पायो जबरी ।
लौह लकड़से मर् यो नहीं, वो मर् यो मौत नखरी ॥ ३ ॥
तीन लोककी माता सीता, रावण जाय हरी ।
जब लक्ष्मणने करी चढ़ाई, लंका गई बिखरी ॥ ४ ॥
आठ पहर साहिबको रटना, ना करना जिकरी ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो , रहना बे- फिकरी ॥ ५ ॥