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जानकीनाथ सहाय करे , तब ...

विविध - जानकीनाथ सहाय करे , तब ...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


जानकीनाथ सहाय करे, तब कौन बिगाड़ करै नर तेरो ॥ टेर॥

सूरज, मंगल, सोम, भृगुसुत, बुध और गुरु वरदायक तेरो ।

राहु केतु की नाँहि गम्यता, तुला शनीचर होय है चेरो ॥१॥

दुष्ट दुशासन निबल द्रौपदि, चीर उतारण मन्त्र विचारो ।

जाकी सहाय करी यदुनन्दन, बढ़ गयो चीरको भाग घनेरो ॥२॥

गर्भकाल परीक्षित राख्यो, अश्वत्थामाको अस्त्र निवार् यो ।

भारत में भरुही के अंडा, तापर गज को घंटो गेर् यो ॥३॥

जिनकी सहाय करे करुणानिधि, उनको जगमें भाग्य घनेरो ।

रघुवंशी संतन सुखदायी, तुलसीदास चरणों को चेरो ॥४॥

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Last Updated : January 22, 2014

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