जानकीनाथ सहाय करे, तब कौन बिगाड़ करै नर तेरो ॥ टेर॥
सूरज, मंगल, सोम, भृगुसुत, बुध और गुरु वरदायक तेरो ।
राहु केतु की नाँहि गम्यता, तुला शनीचर होय है चेरो ॥१॥
दुष्ट दुशासन निबल द्रौपदि, चीर उतारण मन्त्र विचारो ।
जाकी सहाय करी यदुनन्दन, बढ़ गयो चीरको भाग घनेरो ॥२॥
गर्भकाल परीक्षित राख्यो, अश्वत्थामाको अस्त्र निवार् यो ।
भारत में भरुही के अंडा, तापर गज को घंटो गेर् यो ॥३॥
जिनकी सहाय करे करुणानिधि, उनको जगमें भाग्य घनेरो ।
रघुवंशी संतन सुखदायी, तुलसीदास चरणों को चेरो ॥४॥