मनवा नाँहि विचारो, थारी म्हारी करता ऊमर बीती सारी रे ॥ टेर॥
नव दस मास गर्भ में राख्यो, माता थाँरी रे ।
नाथ बाहिर काढ भगती कर स्यूँ थाँरी रे ॥ १॥
बालपने में लाड लडायो, माता थाँरी रे ।
भर जोबन में लगे पियारी, नारी प्यारी रे ॥२॥
माया माया करतो फिर् यो जड़ से भारी रे ।
कौड़ी कौड़ी कारण मूरख ले तो राड़ उधारी रे ॥३॥
विरध भयो जब यूँ उठ बोली, घर की नारी रे ।
अब बुढलो मर जाय तो छूटे, गैल हमारी रे ॥४॥
रुक गया साँस दशों दरवाजा, मच रही घ्यारी रे !
कालूराम गुराँके शरणे, कह दी सारी रे ॥५॥