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जय भगवद् गीते , जय भगव...

विविध - जय भगवद् गीते , जय भगव...

’विविध’ शीर्षकके द्वारा संतोंके अन्यान्य भावोंकी झलक दिखलानेवाली वाणीको प्रस्तुत किया है ।


जय भगवद् गीते, जय भगवद् गीते ।

हरि-हिय-कमल-विहारिणि सुन्दर सुपुनीते ॥

कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि कामासक्तिहरा ।

तत्त्वज्ञान-विकाशिनि विद्या ब्रह्म परा ॥ जय ॥

निश्चल-भक्ति-विधायिनि निर्मल मलहारी ।

शरण-सहस्य-प्रदायिनि सब विधि सुखकारी ॥जय ॥

राग-द्वेष-विदारिणि कारिणि मोद सदा ।

भव-भय-हारिणि तारिणि परमानन्दप्रदा ॥जय॥

आसुर-भाव-विनाशिनि नाशिनि तम रजनी ।

दैवी सद् गुणदायिनि हरि-रसिका सजनी ॥ जय ॥

समता,त्याग सिखावनि, हरि-मुख की बानी ।

सकल शास्त्र की स्वामिनी श्रुतियों की रानी ॥ जय ॥

दया-सुधा बरसावनि, मातु ! कृपा कीजै ।

हरिपद-प्रेम दान कर अपनो कर लीजै ॥ जय ॥

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Last Updated : January 22, 2014

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