कैसे बैठ्यो रे आलसमें, तो से राम कह्यो ना जाय ।
राम कह्यो ना जाय, तो पै कृष्ण कह्यो ना जाय ॥ १ ॥
भोर भयो मल-मल मुख धोयो, दिन चढ़ते ही उदर टटोयो;
बातन-बातन सब दिन खोयो, साँझ भई पलगाँ पर सोयो ।
सोवत-सोवत उमर बीत गई, काल शीरा मँडराय ॥ कैसे ॥ २॥
लख चौरासीमें भरमायो, बड़े भाग नर देह तू पायो;
अबकी चूक न जाना भाई, लुटने पावै नहीं कमाई ।
" राधेश्याम" समय फिर ऐसो , बार-बार नहिं आय ॥ कैसे ॥ ३ ॥