क्या तन माँजता रे, एक दिन माटी में मिल जाना ॥टेर॥
माटी ओढ़न माटी बिछावन, माटी का सिरहाना,
माटी का कलबूत बन्या है, जिसमें भँवर लुभाना ॥१॥
मात-पिता का कहना मानो, हरि से ध्यान लगाना,
सत्य वचन और रही दीनता, सबकों सुख पहुँचाना ॥२॥
एक दिन दूल्हा बन्या बराती, बाजे ढोल निशाना , ।
एक दिन जाय जँगल में डेरा, कर सीधा पग जाना ॥३॥
हरिकी भक्ति कबहुँ नहीं भूलो, जो चाहो कल्याना, ।
सबके स्वामी पालन करता, उनका हुकुम बजाना ॥४॥