उड़ जायगा रे हंस अकेला, दिन दोयका दर्शन-मेला ॥ टेर ॥
राजा भी जायगा, जोगी भी जायगा, गुरु भी जायगा चेला ॥१॥
माता-पिता भाई-बन्धु भी जायेंगे, और रुपयोंका थैला ॥२॥
तन भी जायगा , मन भी जायगा, तू क्यों भया है गैला ॥३॥
तू भी जायगा, तेरा भी जायगा, यह सब मायाका खेला ॥४॥
कोड़ी रे कोड़ी माया जोड़ी, संग चलेगा न अधेला ॥५॥
साथी रे साथी तेरे पार उतर गये, तू क्यों रहा अकेला ॥६॥
राम-नाम निष्काम रटो, नर, बीती जात है बेला ॥७॥