मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है, वह धन किसी का है दिया ॥
देने वाले ने दिया, वह भी दिया किस शान से ।
‘मेरा है’ यह लेने वाला कह उठा अभिमान से ॥
‘मैं-मेरा’ यह कहने वाला मन किसीका है दिया ।
जो मिला है वह हमेशा पास रह सकता नहीं ॥
कब बिछुड़ जाये, यह कोई राज कह सकता नहीं ।
जिन्दगानी का खिला मधुवन किसी का है दिया ॥
मैं नहीं, मेरा नहीं यह तन किसी का है दिया ।
जग की सेवा, खोज अपनी, प्रीति उनसे कीजिये ॥
जिन्दगी का राज है, यह जानकर जी लीजिये ।
साधना की राह पर साधन किसीका है दिया ॥
मैं नहीं........ ॥