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एकलव्य

   { ekalavya }
Script: Devanagari

एकलव्य     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
EKALAVYA I   Son of Hiraṇyadhanus, a King of the foresters. He went to Droṇācārya to learn archery. Droṇācārya refused to accept him as a disciple because he was a Śūdra. Undaunted he went to the forests, made a replica of the preceptor in clay and standing before it started practising archery. Soon he became a matchless archer. Some time later the Pāṇḍavas went to the forests for hunting. One of the hunting dogs wandering saw Ekalavya and started barking. Ekalavya sent seven arrows to its mouth and kept it open. When the dog returned to Arjuna he was dumbfounded at the skill of the archer and when he came to know the archer was an unknown disciple of Droṇa his disappointment knew no bounds. Droṇa had once declared that Arjuna was the best and topmost of his disciples. Arjuna went and complained to Droṇācārya. Droṇācārya called Ekalavya to his side and asked him to give him as ‘Gurudakṣiṇā’ (fee to the preceptor) his right-hand thumb. Without the least hesitation Ekalavya offered his thumb to the guru and from that day onwards his skill faded and he became inferior to Arjuna. [Chapter 132, Ādi Parva] : Ekalavya was killed by Śrī Kṛṣṇa. [Śloka 77, Chapter 48, Udyoga Parva, M.B.] . A son of Ekalavya seized the sacrificial horse of Arjuna and was killed by Arjuna [Chapter 83, Āśvamedhika Parva, M.B.] .
EKALAVYA II   A King who was a rebirth of an asura, Krodhavaśa. He participated in the great war on the side of the Pāṇḍavas. [Chapter 4, Udyoga Parva, M.B.] .

एकलव्य     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक निषाद कुमार जो बहुत बड़ा धनुर्धर था और धनुर्विद्या का अभ्यास द्रोणाचार्य की मूर्ति के सामने करता था   Ex. द्रोणाचार्य ने गुरुदक्षिणा के रूप में एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
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kanಏಕಲವ್ಯ
kokएकलव्य
malഏകലവ്യന്
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panਏਕਲਵਇਆ
sanएकलव्यः
tamஏகலைவன்
telఏకలవ్యుడు
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एकलव्य     

एकलव्य n.  व्याधों का राजा । हिरण्यधनु का पुत्र । द्रुपद से सहायता की अपेक्षा नष्ट होने पर चरितार्थ के लिये द्रोणाचार्य ने भीष्म के नातियों को धनुर्विद्या सिखाने का काम स्वीकार किया । धृतराष्ट्र तथा पंडु के पुत्र उसके पास विद्याध्ययन करने लगे । कुछ दिनों में द्रोणाचार्य के अध्यापन कौशल्य की कीर्ति चारों ओर फैल गई । इससे दूर दूर के देशों के राजपुत्र द्रोणाचार्य के पास विद्याध्ययन के लिये आने लगे । एकलव्य भी विद्यार्जन के लिये द्रोणाचार्य के पास आया । परंतु व्याधपुत्र होने के कारण द्रोणाचार्य ने उसे पढाना अमान्य कर दिया । तब किसी भी प्रकार का विषाद मन में न रखते हुए, द्रोणाचार्य पर दृढ विश्वास रखकर, नमस्कार कर के यह चला गया [म.आ.१२३.११] । द्रोण के द्वारा विद्यादान अमान्य किये जाने परभी अपना निश्चय न छोडते हुए इसने द्रोण की एक छोटी प्रतिमा मिट्टी की बनाई तथा उसे अपना गुरु मान कर, उस प्रतिमा के प्रति दृढ विश्वास रखते हुए, प्रतिमा के सामने अपना विद्याव्यासंग चालू रखा तथा विद्या में प्रवीण हो गया । द्रोणाचार्य ने उत्तम ढंग से अपने शिष्यों को सिखाया था । सब शिष्यों से अधिक द्रोण की प्रीति अर्जुन पर थी । उसने अर्जुन को आश्वासन दिया था कि किसी भी शिष्य को मैं तुमसे अधिक पराक्रमी नहीं बनाऊंगा । कुछ दिनों के बाद द्रोणाचार्य सब शिष्यों के सहित कुत्ता आदि मृगयासामग्री ले कर मृगया के लिये गये । शिकार करते समय कुत्ता उनसे काफी दूर एकलव्य के पास गया तथा बलाढय, कृष्णवर्णीय व्याध को देखकर भौंकने लगा । तब उसे बिल्कुल जख्म न हो किन्तु उसका भौंकना बंद हो जावे, इस हेतु से, बडी कुशलता से, एकलव्य ने उसके मुख में सात बाण मारे । तब वह कुत्ता उसी प्रकार अपने मालिक के पास आया । उस कुत्ते को देखकर द्रोण को आश्चर्य लगा कि इतनी कुशलता से लक्ष्यवेध करनेवाला यह कौन हो सकता हैं । इधर उधर देखते समय द्रोण को एकलव्य दृष्टिगत हुआ । द्रोण को देख कर एकलव्य ने अभिवादन किया तथा कहा कि, मैं आपका शिष्य हूँ । द्रोण को उसकी कुशलती से बडा आनंद तथा कौतुक लगा । यह अर्जुन की अपेक्षा धनुर्विद्या में श्रेष्ठ जानकर अर्जुन को दिया गया अपना वचनभंग हो जाने का डर लगा । परंतु बडी युक्ति से गुरु दक्षिणा के तौर पर इसने उसके दाहिने हात का अंगूठा मांग लिया । एकवचनी एकलव्य ने वह दे दिया [म.आ.१२३.३७] । परंतु इससे इसकी पहले की चपलता नष्ट हो गई । एकलव्य भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्षमें था । दाहिना हाथ पूर्ण रुपसे निरुपयोगी होते हुए भी इसने अत्यंत पराक्रम दर्शाया । यह श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया [म. द्रो. १५५.२९] । इसे केतुमान्, नामक एक पुत्र था । वह भीम के द्वारा मारा गया [म. भी.५०.७०]

एकलव्य     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  खूब व्हड धोणूधारी आशिल्लो आनी धोणूविद्येचो अभ्यास द्रोणाचार्याचे मुर्ते मुखार करतालो असो एक शिकारी भुरगो   Ex. द्रोणाचार्यान गुरुदक्षिणेच्या रुपान एकलव्या कडेन ताच्या उजव्या हाताचो आखाणो मागलो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
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मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक भिल्ल, धनुर्विद्येत प्रवीण युवक, ज्याने द्रोणाचार्यांच्या पुतळ्यासमोर सराव करुन प्रावीण्य मिळवले   Ex. गुरुदक्षिणा म्हणून द्रोणाचार्यांनी एकलव्याच्या उजव्या हाताचा अंगठा मागितला
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
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hinएकलव्य
kanಏಕಲವ್ಯ
kokएकलव्य
malഏകലവ്യന്
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panਏਕਲਵਇਆ
sanएकलव्यः
tamஏகலைவன்
telఏకలవ్యుడు
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एकलव्य     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
एक—लव्य  m. m.N. of a son of हिरण्य-धनुस् and king of the निषादs, [MBh.]
ROOTS:
एक लव्य

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