सीताराम भजन कर लिजीओ मनवा गुरु भजन कर लिजिओ ॥ध्रु०॥
भुखे अन्न पियासो पानी नंगे वस्त्र दीजियो ।
मेरे मनवारे सीताराम भजन कर लिजिओ ॥१॥
माटी ओडना माटी बिछाना माटीका ठीलना ।
मट्टिका कलबुद बनाया आखर मट्टिमें जानारे ।
ओ क्या तन मरता है रे मनवारे ॥२॥
माया छोडो काया छोडो छोडो घरकी आस ।
इस दुनियाकी बस्ती छोडो बिंद्राबनी कर बास ।
मेरे मनवारे सीताराम भजन कर ॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु रामनामकी लूट परा है ।
लूट न होय सो लूट आखेरको पस्तावेगो ।
डाव तन मन हो जायगा धूल मेरे मनवारे ।
सीताराम भजनकर लिजीओ ॥४॥