करमकी बात है न्यारी हो । कोई दोख न दीजिये ॥ध्रु०॥
काहेकूं चंदन रन बन उपजे काहेकूं ये रद फुलवारी हो ॥ कोई०॥१॥
काहेकूं बंगला सफेत बन रहै काहेकूं कोयल भयी काली हो ॥ कोई०॥२॥
काहेकूं कुवा जल मिठा लागत है काहेकूं समुदर भये खारा हो ॥ कोई०॥३॥
काहेकूं मुरखवा राज करत है काहेकूं पंडिता भिखारा हो ॥ कोई०॥४॥
कहे कबीरा सुन भाई साधु गुरके चरन बलहारा हो ॥ कोई०॥५॥