रामनाम धार चमकत है तरवार । ऐसी लढाई होती तुम रहेना हुषार ॥१॥
मन पवनके घोडे छुटे उपर अनुभव स्वार । हात म्याने बोध भाले और है कटियार ॥२॥
संत बचनमों पाऊल है बंदुक बाहारदार । साधकी तो कमान बनाई लक्ष लगाया तीर ॥३॥
प्रेम खडा कुंजर देखो झुलमों कैसा झुलता है । पापी दुस्मनके छातीपर पग देखे चलता है ॥४॥
ऐसी लढाई करके सबही मान गुमान रखना है । कडकडाट भजनका तोफखाना सुन ले भाई गोला धरना है ॥५॥
झलकत मोक्ष निशान ना रंग काला ना पिला है । भव भजनकी फौज बिराजे भाग गयो जम काल है ॥६॥
ऐसा तान बिनाले प्यारे जनम मरन भव भुले है । दिल दर्याव त्रिपुटी माय भव सागरमों झुली है ॥७॥
ताता बहना छोडो संतकू शरन जावोरे । श्रीगुरु रामनंद विराजे दास कबीर गावोरे ॥८॥