निंदा मत करना किसकी सच्ची बात कबीरजीकी ॥ध्रु०॥
साचा झूटा दोनो भाई खुदाने बनवाया ।
भगतकी निंदा भगत करे सो ओई नरकमें गया ॥१॥
जिसकी करनी उसकी भरनी तूं क्यौं दिलगिर भाई ।
रावननें तो आपनी लंका खोई भरी बादशाही ॥२॥
कौरव पांडव दोनो भाई एक सच्चा एक झूठा ।
सच्चा तो बैकुंठ जावे झूठा नरकमें बैठा ॥३॥
जो करेगा सोहो भरेगा ह्यां क्या किसका जाता ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु एक सच्चा एक झूठा ॥४॥