तूं तो राम सूमर जग लरवा दे ॥धृ०॥
चंडी भैरव सितला देवी फत्तर पुजत वाकूं पुजवा दे । तूं तो० ॥१॥
हातीं चाल चलत गत अपनी कुतर भुकत वांकु भुकवादे । तूं तो० ॥२॥
कोरा कागद काली साई लिखत पढत वाकु पढवादे । तूं तो० ॥३॥
कहत कबीर सुन भाई साधु नरक पचत वाकुं पचवादे । तूं तो०॥४॥