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अजोध्यानगर चलो देखो मेरी ...

कबीर के दोहे - अजोध्यानगर चलो देखो मेरी ...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


अजोध्यानगर चलो देखो मेरी सजनी राजा दशरथजीको रामजी भये ॥ टेक ॥

कौन घरे भरत भये सजनी कौन घरे राजा रामजी भये ॥१॥

भोर होत भरत भये सजनी मध्यदिवस राजा रामजी भये ॥२॥

बाजत ताल मृदंग झांज ढफ और पर चोप भये ॥३॥

तंबुवन तंबुवन नाचत ताफये सब रघुबंसी मगन भये ॥४॥

हरे हरे गोबर अंगना ढिपाये मोतीयनक चौक पुराये ॥५॥

अपने अपने भुवन ते निकसी गज मोतीयनके थार लये ॥६॥

चैतमास नौमिकी पूजा सुखें सरोवर नीरभरे ॥७॥

कहत कबीर दया सद्‌गुरुकी घरघर मंगलचार भये ॥८॥

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Last Updated : January 07, 2008

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